याद!

खयालों के बक्से में एक याद बंद थी,
कुछ अपनी सी,
कुछ परायी से,
कुछ भूली भुलाई से!
अर्सो से दबी आस ने ,
उसे आज,
आज़ाद कर दिया है !
और मुझे,
फिर,
आईने के सामने ला खड़ा किया है!

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