तुम्हारे लिए!
वक्त की अंगुलियों ने आज बुना है,
सुन्दर सपना ,
तुम्हारे लिए!
इस पर्व पर
इस लम्हे में
संजोह लेना इसे!
सजा कर हथेली पर अपनी
कर लेना, धीरे से
मुट्ठी बंद!
हो जाये बोलती हस्त रेखायों में
विलीन यह!
और ले जाये बहा के अपने प्रवाह में
उस मंजील तक
जो बांह पसारे
देखे है राह
सिर्फ
तुम्हारे लिए!
सुन्दर सपना ,
तुम्हारे लिए!
इस पर्व पर
इस लम्हे में
संजोह लेना इसे!
सजा कर हथेली पर अपनी
कर लेना, धीरे से
मुट्ठी बंद!
हो जाये बोलती हस्त रेखायों में
विलीन यह!
और ले जाये बहा के अपने प्रवाह में
उस मंजील तक
जो बांह पसारे
देखे है राह
सिर्फ
तुम्हारे लिए!
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